Monday, 16 November 2015

THE TEMPLE OF CHARBHUJA

माथे पे मुकुट देखि, चंद्रिका चटक देखि,
छवि की लटक देखि, रूपरस पीजिये,
लोचन बिसाल देखि, गरे गुंजमाल माल देखि,
अधर रसाल देखि, चित्त भाव कीजिये

चारभुजा मंदिर छत्रवन(छाता)

नज़र नज़र मैं तुझको देखा!
न तुझसा देखा न तेरे जेसा 
कोई और देखा 
क्या कहू तेरी मुस्कराहट का 
तेरी मुस्कराहट का नज़ारा कुछ 
और देखा;

http://charbhujamandirchhata.blogspot.in/


THE TEMPLE OF CHARBHUJA

तेरी सूरत का नज़ारा ही 

कुछ ऐसा है
की हम पीके मदहोश है 

फिर भी और पिये जा रहे है!